महोबा । दोनों हाथों से दिव्यांग अपनी लगन से स्नातक की परीक्षा दे रहा है। जिसने भी दिव्यांग के हौसले को देखा वो दंग रह गया। परीक्षा केंद्र में मौजूद अध्यापक भी दिव्यांग के इस जज्बे को देखकर हैरत में है। दिव्यांगता के कारण हाथों में जान न होने के बावजूद भी छात्र अपने आत्मविश्वास से आगे बढ़ रहा है। आपको बता दें कि महोबा के अजनर थाना क्षेत्र के मगरिया गांव निवासी गणेश कुमार शारीरिक कमजोरी को मात देकर अपने जज्बे के बलबूते आगे बढ़ रहा है। जो अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का काम कर रहा है। दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद, गणेश ने अपनी पढ़ाई और परीक्षा में खुद लिखने का संकल्प लिया और उसे पूरा कर दिखाया।
गणेश कुमार के हाथ जन्म से ही कमजोर हैं। उनकी बनावट ऐसी है कि वे आसानी से पेन नहीं पकड़ सकते। बावजूद इसके, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने आत्मविश्वास से यह साबित कर दिया कि दिव्यांगता भी उनके सपनों को रोक नहीं सकती। शुरुआत में लिखने में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन उनके हौसले और मेहनत ने उन्हें इस चुनौती पर विजय दिलाई। गणेश वर्तमान में पूरनलाल महाविद्यालय से बीए तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वह कुलपहाड़ के श्री किशोर गोस्वामी महाविद्यालय में परीक्षा दे रहा है। जब गणेश ने खुद से अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखना शुरू किया, तो वहां मौजूद शिक्षक और अन्य छात्र उनकी लगन और संकल्प शक्ति को देखकर हैरान रह गए।
गणेश ने बताया कि उनकी कोशिश है कि वे उच्च शिक्षा प्राप्त करें और अपने जैसे अन्य दिव्यांग व्यक्तियों को प्रेरणा दें। उनका मानना है कि शारीरिक बाधाएं सफलता की राह में रोडा नहीं बन सकती। अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मुकाम भी पाया जा सकता है। उनके इस प्रयास और साहस की हर कोई सराहना कर रहा है। गणेश न केवल अपने परिवार और गांव के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं। श्री किशोर गोस्वामी महाविद्यालय के परीक्षा प्रभारी दिनेश कुमार बताते है कि जब छात्र गणेश परीक्षा देने आया तो उसकी लगन और मेहनत को देख सभी हैरत में पड़ गए पढ़ाई के प्रति उनका जज्बा मिसाल बना है। छात्रों को गणेश से सीख लेने की आवश्यकता है।
वहीं अध्यापक आकाश मिश्रा बताते है कि दिव्यांग परीक्षार्थी गणेश बीए फाइनल ईयर का छात्र है। जिसे देख हम सब भी चौक गए। लेकिन ये एक प्रेरणा देता है। उन बच्चों को जो शिक्षा से दूर हो रहे है। दिव्यांग होते हुए भी गणेश अपनी मंजिल को पाने के लिए प्रयासरत है। उसे देखकर ये सीख है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए। आगे बढ़ते रहना चाहिए सरकार भी इनके लिए विशेष व्यवस्थाएं और योजनाएं चलाई जाए। ताकि दिव्यांग बच्चों की प्रतिभाएं निखर कर समाने आए।
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