
बुंदेलखंड बुलेटिन न्यूज़
दतिया । जिस देश मे गाय माता और बछडा नंदी स्वरूप माना जाता है और शासन द्वारा देश मे हजारों नही लाखो हेक्टेयर भूमि चरनोई चारागाह के नाम से संरक्षित कर रही गई है लेकिन आज के समाज के बदलते स्वरूप मे दंवग लोगो ने उस चरनोई भूमि पर कब्जा कर खेती कर लाखो करोडो रूपयो फसले उगाकर मोटा मुनाफा कमाकर अपनी प्रगति मे लगे है तो दूसरी ओर गाय जिसके दूध को डाक्टर अमृत माते है हर दवा मे गाय के दूध के साथ खाने की सलाह देते है और गाय के बछडे बैलगाड़ी खीचने का काम आते थे आज के समय भी कई जगह काम आते है लेकिन दुर्भाग्य देखिए की यही गौवंश जो मानव जाति के लिए बरदान है तो बही इस बंश की कितनी दुर्दशा हो रही है की खाने के लाले है लेकिन साहब भूख कहाँ कुछ देखती है मजबूरी मे अपनी भूख मिटाने के लिए कचरे के घेर से कागज खाने को मजबूर है मानव की संवेदना खत्म हो चुकी है और ये लाचार गौवंश कागज खाने को मजबूर है