कालपी/जालौन। खाद के लिए किसान अभी भी लाईन में खडे है क्योंकि डीएपी के बाद अब यूरिया का भी संकट खडा हो गया है। उन्हें दो दो घंटों लाईन मे खडा होना पड रहा है। किसान और समस्याएं लगता है एक दूसरे के पर्याय हो गए हैं उन्हें हर जगह लाईन मे खडा होना पड रहा है। विदित हो कि बुवाई के समय डीएपी की कमी थी उन्हें एक एक बोरी के लिए कई कई दिनों तक भागदौड़ करनी पडी थी इतना ही नहीं सब कुछ करने के बाद भी उन्हें पर्याप्त मात्रा में डीएपी नही मिली थी जिससे किसानो के खेतो की बुवाई भी देरी से हो सकी है लेकिन उन्हें लगा था कि अब यूरिया के लिए उन्हें परेशान नही होना पडेगा लेकिन यह सोचना गलत साबित हुआ और अब इस खाद के लिए भी मारामारी शुरू हो गई है। मालूम हो कि शासन ने यूरिया की कीमत 272 रूपये निर्धारित की है लेकिन बाजार में यह साढे तीन सौ रूपये बिक रही है जिसके चलते किसान खाद को सहकारी सँस्थाओ से खरीदते है और शायद इसी की वजह से पीसीएफ और महेवा साधन सहकारी समिति मे खाद आते ही किसानो की भीड पहुँच जाती है और इसी के चलते शुक्रवार सुबह से ही यूरिया की बोरी पाने के लिए परिसर में किसानो का जमावडा शुरू हो गया था और 10 बजते बजते वँहा सैकडो की संख्या में किसान लाईन मे खडे हो गए थे इतना ही नही लाईन मे आगे पीछे खडे होने को लेकर किसानो मे विवाद भी शुरू हो गया था जिसपर सहकारी समिति के सचिव प्रदीप कुमार को पुलिस बुलानी पडी थी और इसके बाद ही वितरण शुरू हो सका था लेकिन किसानो की संख्या अधिक होने के चलते बडी संख्या में किसान बगैर खाद के ही वापस हो गए है। सचिव के मुताबिक खाद की कमी नही है पर किसान एक साथ आ जाते हैं जिससे महज दो दो बोरी खाद ही बाटी जा रही है।
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