कोंच/जालौन। वारिस प्रमाणपत्र बनाने के एवज में तीस हजार की रिश्वत मांगना कानूनगो को महंगा पड़ गया एंटी करप्शन की टीम ने मौके से रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर झांसी ले गई |कोंच तहसील के कानूनगो कृष्णा खरे को आज एंटीकरप्शन टीम ने रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए कार्रवाई की है। यह घटना कोंच तहसील कार्यालय से जुड़ी है, जहां पर कानूनगो ने एक महिला से वारिश प्रमाण पत्र बनाने के लिए तीस हजार रुपये की रिश्वत की मांग की थी। इस मामले की शिकायत महिला ने एंटीकरप्शन टीम झांसी को फोन के जरिए की जिसके बाद टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी कानूनगो को रंगे हाथ पकड़ लिया। यह मामला तब सामने आया जब महिला जो कि कोंच क्षेत्र की निवासी है वारिश प्रमाण पत्र के लिए अपने आवश्यक दस्तावेज लेकर कोंच तहसील कार्यालय पहुंची थी। महिला ने बताया कि उसने जब प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया तो कृष्णा खरे ने उससे तीस हजार रुपये देने की मांग की। महिला ने बताया कि कानूनगो ने साफ तौर पर कहा था कि यदि वह प्रमाण पत्र जल्द और बिना किसी दिक्कत के चाहती है, तो उसे यह राशि देनी होगी। महिला ने इस घूसखोरी के बारे में एंटीकरप्शन टीम को सूचना दी। एंटीकरप्शन टीम ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई की योजना बनाई। टीम ने महिला को साथ लेकर कोंच तहसील कार्यालय में छापेमारी की और कानूनगो कृष्णा खरे को रिश्वत की राशि लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। टीम ने तुरंत ही उसे अपनी गिरफ्त में लेकर झांसी स्थित एंटीकरप्शन टीम के कार्यालय ले गई। इस कार्रवाई से एक बार फिर यह साबित हुआ कि सरकार और प्रशासन द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को गंभीरता से लिया जा रहा है। एंटीकरप्शन टीम की तत्परता और सक्रियता ने यह दिखा दिया कि किसी भी सरकारी अधिकारी को भ्रष्टाचार करने की छूट नहीं दी जाएगी। महिला के द्वारा की गई शिकायत और उसके बाद की त्वरित कार्रवाई ने यह भी उजागर किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आम नागरिकों को अब अपनी आवाज उठाने के लिए डरने की जरूरत नहीं है। यदि कोई सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेता है या अवैध मांग करता है, तो उसकी शिकायत करने के लिए कानूनी रास्ते खुले हैं। कोंच तहसील के कानूनगो कृष्णा खरे पर हुई यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार और प्रशासन की नीति कड़ी है और किसी भी स्तर पर इसे सहन नहीं किया जाएगा। इस प्रकार की कार्रवाई से भ्रष्टाचार के खिलाफ जन जागरूकता भी बढ़ेगी और यह अन्य अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी साबित होगी कि वे अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए भ्रष्टाचार से बचें।
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