- शौच के लिये बाहर जाने को मजबूर प्रसूताओं के परिजन
ललितपुर। बार- कस्बा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बार में जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। परिसर में अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है। ओपीडी से लेकर मैटरनिटी विंग में तैनात चिकित्सक नदारद रहते हैं। मैटरनिटी विंग में उपचार के लिए तैनात महिला चिकित्सक के कक्ष में ताला लटका मिला। वहीं ओपीडी में एक पुरूष व एक महिला चिकित्सक मरीजों का इलाज करते दिखे। वही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हमेशा चर्चाओ में बना रहता है जहां डॉक्टरों के बाहर की दवाइयां लिखी जाती है वही मेटरनिटीविंग के चारों और गंदगी फैली हुई है दीवारों को गुटखो से रंग दिया गया है न दायक है बाबजूद मजबूरी उन्हें रहना पड़ रहा है जो सक्षम लोग होते है वह तो अपने मरीज की उसी दिन छुट्टी करा ले जाते है लेकिन जो कमजोर लोग होते है वह मजबूरी में भर्ती कराये रहना उनकी मजबूरी बन जाता है मेटरनिटी बिंग में सरसोके तेल और मोबाइल की टोर्च की रौशनी में प्रसव के साथ ही मेटरनिटी विंग के बाहर निर्मित शौचालय में ताले लगे मिले। महिलाओं ने आरोप लगाया कि शौचालय के ताले लगे होने से उन्हें खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। परिसर में लगे हैंडपंप के समीप गंदगी से नजदीक जाना भी मुश्किल है जबकि मरीजों व तीमारदारों को मजबूरी में इसी हैंडपंप का उपयोग करना पड़ रहा है।
शौचालयों में लटके ताले, फैली गंदगी
मेटरनिटी विंग के बाहर शौचालय शो पीस बने हुए है जिस कारण प्रसव कराने वाली माहिलाओ के साथ आने वाले तीमारदारों को खुले में शौच जाना पड़ रहा है मेटरनिटीविंग के चारों और गंदगी फैली हुई है जिससे मच्छर पैदा हों रहे और उठती दुर्गन्ध ने वहां पल भर के लिये दुशवार कर रखा है बाबजूद इसके मजबूरी में रुकना पड़ा रहा जिससे मरीज के तीमारदारों में भारी नाराजगी है पर उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं है जो शौचालय बने है उनमे ताला लटक रहा है साथ ही बाहर लगे हैण्डपम्प के चारों और कीचड़ और गंदगी जमा है उसी के पानी का प्रयोग तीमारदार पीने के लिये भी करते है।
कचरा का ढेर बने लाखों के सीरप
सरकार द्वारा करोड़ों रुपए का बजट दवाईयों पर खर्च किया जा रहा है। लेकिन अस्पताल में जिम्मेदार मरीजों को बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं। वहीं सरकारी दवाइयों को अस्पताल के अंदर ही कचरे में डाला जा रहा है। मैटरनिटी विंग के बगल में महिलाओं की गर्भावस्था के उपचार व एनीमिया उपचार के लिए आयरन का (फेरस सल्फेट एंड फोलिक एसिड) की सैंकड़ों सिरप बिखरे मिले। इन सभी सिरप की बोतलों पर एक्सपायरी तिथि मार्च 2019 लिखी हुई है। सवाल ये उठता है कि जिम्मेदारों द्वारा इन दवाइयों का वितरण क्यों नहीं किया गया। इतनी बड़ी मात्रा में इन बोतलों का पांच साल बाद क्यों बाहर फेंक दिया। मरीजों द्वारा चिकित्सकों पर बाहर से दवाई लिखने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में अस्पताल में जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
इनका कहना
जिन शौचालयों में ताले लगे हैं वह अभी हैंड ओवर नहीं हुए हैं। मरीजों ने शौचालय बंद होने की शिकायत की थी। उनकी आज सफाई करवा दी गई है। एक्सपायरी तिथि के सीरप की बोतलों की जानकारी आपके द्वारा हुई है। जिसकी जानकारी करते हैं।
डॉ. नवनीत कुमार
चिकित्सा अधीक्षक
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र-बार