मुख्यमंत्री की ओल्ड इज गोल्ड पहचान हरगोविंद कुशवाहा के प्रयास से टहरौली तहसील के 40 गाँवों के किसानों की संवरेगी किस्मत

रिपोर्ट -शौकीन खान/कौशल किशोर गुरसरांय

गुरसरांय/टहरौली (झांसी)। सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ मैं गजब की परख है और जिसके चलते ही उन्होंने ओल्ड इज गोल्ड की परख के रूप में बुंदेलखंड के जनपद झांसी की तहसील टहरौली के ग्राम बमनुआं मैं जन्मे एडवोकेट हरगोविंद कुशवाहा को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान का उपाध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा इसलिए दिया है ताकि बुंदेलखंड क्षेत्र और झांसी जिले का ऐतिहासिक पुरातत्व प्राकृतिक संरक्षण का विकास के द्वारा आम जनमानस को लाभान्वित किया जा सके और राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा उम्र के अंतिम पड़ाव में किसी युवा से कम नहीं है और उन्होंने देश की आजादी के बाद टहरौली तहसील के बड़ी संख्या में किसानों की जिंदगी में नई रोशनी नई उम्मीद बेहतरीन जल संचय और खेती किसानी के लिए वैज्ञानिक पद्धति से केंद्र और राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना को धरातल पर उतारने के लिए जो सेतु का काम किया है उसको देख कर स्पष्ट लग रहा है ओल्ड इज गोल्ड के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने हरगोविंद कुशवाहा की बेहतरीन सेवाओं से बुंदेलखंड को विशेष सौगात दी है। बताते चलें तहसील टहरौली अंतर्गत कस्बा टहरौली सहित करीब 38 ग्रामों के किसानों के चेहरों में मुस्कान खिलने बाली है। राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा की अध्यक्षता में एक बैठक कस्बा टहरौली में आयोजित की गई। वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि क्षेत्र के किसानों के खेतों की सिंचाई
इ़जरायल पद्धति से हो सकेगी। योजना की लागत 33.56 करोड़ रुपये है।
कोशिश अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गई है। टहरौली तहसील के लगभग 40 गाँव बेहद संकट के दौर से गु़जर रहे हैं। इन गाँव में सिंचाई के कोई पुख्ता साधन उपलब्ध नहीं हैं। कुछ तालाब, पोखर व कुओं से सिंचाई हो सकती है, लेकिन यह परम्परागत साधन तभी पानी देते हैं, जब मॉनसून में अच्छी बारिश होती है। बारिश नहीं होने पर इन गाँवों की जमीन वीरान हो जाती हैं। दावा है कि पिछले 3 साल से मॉनसून की दगाबाजी के कारण अधिकांश जलस्रोत सूख गए हैं, जिससे इन गाँवों में बुआई तक नहीं हो पाईंश
है। राज्यमन्त्री हरगोविंद कुशवाहा के प्रयास से इन गाँवों को सूखे से मुक्त कराने के लिए शासन ने अन्तर्राष्ट्रीय फसल अनुसन्धान संस्थान हैदराबाद (आइसीआरआइएसएटी) के माध्यम से सर्वे कराया। संस्थान ने 33.56 करोड़ की परियोजना को आकार दिया है, जिससे 40 गाँव की 28 ह़जार हेक्टेयर जमीन सिंचित की जा सकेगी। बैठक में इकीरोट हैदराबाद के प्रधान वैज्ञानिक रमेश सिंह ने परियोजना का प्रस्तुतिकरण किया। उन्होंने बताया कि यह परियोजना विश्व में मॉडल बनेगी।
महज 33.56 करोड़ लागत से 40 गाँव में सिंचाई की आवश्यकता को पूर्ण करने वाली यह अद्भुत परियोजना विश्व में मॉडल बनकर उभरेगी। दावा है कि जब योजना पूरी तरह से जमीन पर उतर आएगी तो देश-विदेश के शोधार्थी इस पर शोध कर सकेंगे कि आखिर कैसे कम लागत में अधिक भूमि को हरा-भरा किया जा सकता है। इतनी कम लागत की यह अकेली योजना भी होगी।

इन गाँवों की बदलेगी सूरत

बमनुआँ, टहरौली, रोरा, बकाइन, परसा, बेरबई, मधुपुरा, सिलौरी, मजराताई, ताईजागीर, लठेसरा, राजगिर, खजराहा, अनोहता, भगौरा, बिजना, गाता, बाँसर, सुजवाँ, सेमरी कछियान, सेमरी अहिरान, खिरिया, लुहरगाँव, धवारी, घुरैया, मैगाँव, बसारी, अतनिया, बरौरा, लौड़ी, भड़ोकर, बघैरा, गड़ी करगाँव, गुन्दहा, रनयारा, झला, हाटी, नोटा।

यह होंगे लाभ

12,793 रुपए प्रति हेक्टेयर आएगा खर्च।

प्रत्येक किसान की प्रति हेक्टेयर 15 हजार रुपए तक आय बढ़ेगी।

28 ह़जार हेक्टेयर जमीन को मिल सकेगा सिंचाई का पानी।

15 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल पर पहली बार हो सकेगी खेती।

प्रत्येक गाँव के 50 से 60 किसानों को होगा लाभ।

40 गाँव में 80 से अधिक नए डिजाइन के चेकडैम बनाए जाएंगे।

तालाब व पोखर को पक्का किया जाएगा।

कुओं का जलस्तर बढ़ाने पर होगा काम।

बैठक में राज्यमंत्री हरगोविंद कुशवाहा, प्रधान वैज्ञानिक रमेश सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता आशीष उपाध्याय, रवींद्र कुमार सोनी, बाबू सिंह यादव, महेश वर्मा, लोकेन्द्र सिंह अन्य सामाजिक व्यक्ति एवं वैज्ञानिक मौजूद रहे।किसानों के हित मे इतने बड़े कार्य का संकल्प लेने पर सामाजिक कार्यकर्ता आशीष उपाध्याय द्वारा वैज्ञानिकों की टीम का सम्मान किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *