बेटियों को घर की चारदीवारी में ही रखने वाले हिंदुस्तान की बेटियों का करिश्मा

रिपोर्ट-शेलेन्द्र सिंह कोंच /जालौन

कोंच/जालौन-जिस देश की बेटियां फौज में वह देश रहेगा मौज में बेटियों को घर की चारदीवारी में ही रखने वाले हिंदुस्तान की बेटियों का करिश्मा देखें। जो कभी घर की देहलीज से निकलने पर असुरक्षित मानी जाती थी उसी बेटी शिवानी अग्रवाल ने इंडो तिब्बत पुलिस फिर एनडीआरएफ जैसे अत्यधिक खतरनाक जॉब को पसंद किया। और वैश्य परिवार में जन्म लेने के बावजूद सॉफ्ट जॉब का सिलेक्शन नहीं किया तो सारे समाज को बड़ा अजीब और अटपटा सा लगा था। बच्चों के भविष्य को बनाने में माता-पिता की भूमिका अहम मानी जाती है इसी संदर्भ में शिवानी की मां श्रीमती कल्पना अग्रवाल जिन्हें आतंकियों से सदैव ही चिढ़ रही है और पिता श्री देवेंद्र अग्रवाल बचपन से ही आततायियों से दो-दो हाथ करते रहते थे, उन्हें अपनी बेटी के निश्चय पर कभी मलाल नहीं रहा। तो कु. शिवानी ने मात्र 22 साल की उम्र 23 जून2016 में फोर्स की नौकरी आईटीबीटी में एसआई की सर्विस प्रारंभ की थी। इस जॉब में रहते हुए शिवानी ने देश की सीमा तिब्बत बॉर्डर पर पहाड़ों में, वर्फ में अपने जोश और जज्बे को दिखाया तो उसके अधिकारियों को उसके हाथों की लकीरों में देश के भविष्य की सुरक्षा का जिम्मेदार अधिकारी दिखाई दिया। शिवानी अपने सफर पर अपने व्यवहार कुशलता और मेहनत के बल पर आगे-आगे ही बढ़ती रही। 2021 में उसकी काबिलियत को देखते हुए शिवानी को एनडीआरएफ गाजियाबाद की आठवीं बटालियन की एसआई नियुक्त किया गया। जिसमें हर क्षण किसी न किसी आपदा से राहत दिलाने की कठिन जिम्मेवारी हुआ करती है। और इस जिम्मेदारी को इस बेटी ने इस जुनून के साथ निर्वाह किया कि अभी हाल में ही लगभग 6 फरवरी को भारत से काफी दूर स्थित मुस्लिम कंट्री तुर्किये में आया 8.7 रिएक्टल तीव्रता के भीषण भूकंप से लोगों के जान माल को बचाने के हेतु भारत की ओर से अपने दुश्मन पाकिस्तान से दोस्ती रखने वाले और भारत की लगातार खिलाफत करने वाले देश तुर्की ए की हिफाजत के लिए 7 फरवरी को ही दिल्ली के हिंडन हवाई अड्डे से आठवीं बटालियन जिसकी एस आई शिवानी अपनी चार और महिला फोर्स के साथ तथा और भी एनडीआरएफ पुलिस फोर्स के साथ जीवन रक्षक साजो सामान सहित रवाना की गई थी इसके पीछे देश को और एनडीआरएफ को शिवानी के साहस और कार्य कौशल पर विश्वास था तभी पहली खेप में ही और दुरूह परिस्थितियों में इन लोगों को रवाना किया गया था। दो-तीन दिन तक भोजन और पानी ना के बराबर लेते हुए भरभरा रही बिल्डिंगों और उनके बेसमेंट से जिंदा लोगों को निकालना स्वयं की जिंदगी को दांव पर लगाकर काम करना बड़ा ही जांवाजी का काम किया गया। इसके बाद सरकार की ओर से भोजन और रहने की व्यवस्था मुहैया कराई ग्ईं।माइनस 8 डिग्री के गलाने वाले टेंपरेचर में 24 घंटे उन लोगों के बीच में काम करना जिनकी भाषा और रहन-सहन का कोई पता नहीं। उनके साथ उनके परिवारों को बचाना बहुत समझदारी और अनुभव का कार्य था। शिवानी बताती है कि तुर्की के लोग बहुत अच्छे हैं, बहुत कोऑपरेटिव हैं। हमारे देश को वह हिंदुस्तान के नाम से जानते हैं और बड़ी कदर करते हैं। हमारी सरकार के द्वारा ऑपरेशन दोस्त के तहत की गई इस मदद की खास बात यह थी कि दोस्त शब्द का अर्थ वहां भी दोस्त ही है। शिवानी कहती है कि जब उनकी टीम किसी जिंदा व्यक्ति या जीव को निकाल पाती थी तो पूरी टीम जोश खरोश से भर जाती थी। उस देश का और अपने देश का मीडिया इन खबरों को पूरी शान से दिखाता था। तब उन पीड़ित परिवारों के प्यार का जो नजारा देखने को मिलता था वह हमारे जीवन के लिए बहुत बड़ी पूंजी बन गया है। 17 फरवरी को सफलतापूर्वक अपने ऑपरेशन को अंजाम देने के बाद सरकार ने अपनी इस बहादुर टीम को भारत बुला लिया। हिंडोन हवाई अड्डे पर बैंड बाजे, माला फूल के साथ बड़े बड़े अधिकारियों ने शिवानी और उसके अधिकारियों, साथियों तथा टीम में मौजूद फौज के दो कुत्तों को भी माला पहनाई। तुर्की के लोगों और सेना द्वारा आभार का वह क्षण बहुत भावुक था जब वह लोग भारत की इस बहादुर टीम को तालियां बजाकर हवाई अड्डे पर विदा कर रहे थे जब यह फौजी कुत्ते वहां से गुजरे तो उन्हें भी लोगों ने अपनी बाहों में भर लिया। शिवानी के माता और पिताजी द्वारा यह पूरा विवरण देते हुए टीवी और मोबाइल में आ रही तमाम तस्वीरों को बड़े गर्व के साथ दिखाकर एक सैनिक के माता-पिता को उसकी बेटी की सेवाओं से मिलने वाले सुकून की असली सूरत दिखाई। और कहा कि उनके सिर्फ यही बेटी है और एक बेटा है। बेटा कंप्यूटर इंजीनियर है प्राइवेट जॉब करता है बेशुमार दौलत कमाने का हुनर उसके पास है। दूसरी तरफ बेटी है, सबसे बड़ी दौलत है। जिसने अपने कर्तव्य परायणता से पूरे देश का सीना चौड़ा कर दिया। यहां तक कि प्रधानमंत्री जी मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रसाद जी स्वयं उनके कारनामे देखकर प्रकट गर्वान्वित रहे थे और निर्देश दे रहे थे कि इनके बहादुरी के फोटोस और वीडियोस को घर-घर पहुंचाया जाए। तो शिवानी के माता-पिता निवासी गांव धनौरा तहसील कोंच जिला जालौन के मुंह से एक ही शब्द निकला कि बेटी को देश की सेवा कराने का संकल्प आज उनके जीवन का बहुत बड़ा पुण्य प्रमाणित हुआ। उन्होंने पुनः एक सैनिक के माता-पिता के लहजे में कहा जिस देश की बेटी फौज में वह देश रहेगा मौज में।

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