कोंच । तहसील के ग्राम धनौरा में एक मात्र बैश्य परिवार है। इस परिवार के पूर्वज श्री किशोरी लाल जीअग्रवाल का गांव में मात्र इसीलिए सम्मान नहीं था कि वह जमीन जायदाद वाले धनाढ्य परिवार से ताल्लुक रखते थे बल्कि उनमें साहस और सौहार्द का ऐसा सद गुण था कि गांव में उनको मोदी दादा के नाम से अपने पिता की तरह सम्मान देते थे। स्वर्गीय किशोरी लाल जी के चार पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र श्री बाबूराम अग्रवाल भोपाल में बस गए थे। शेष तीन पुत्र और उनके परिवार गांव में ही खेती करके सम्मानजनक जीवन जीते रहे हैं। सबसे छोटे पुत्र और अपनी मां श्रीमती रानी दुल्हन अग्रवाल के अति प्रिय और उनके साहसी लक्षणों से ओत प्रोत श्री देवेंद्र अग्रवाल और उनकी पत्नी श्रीमती कल्पना की एक अति प्रिय पुत्री है कुमारी शिवानी अग्रवाल उम्र करीब 29 बर्ष। शिवानी ने वैश्य परिवार में जन्म लेने के बावजूद अपने परिवार के सांहस के गुण को बरकरार रखा। कई अन्य नौकरियों के तमाम अवसर मिलने पर भी उसने फौज में नौकरी करने का मन बनाया। और वह एनडीआरएफ में एस आइ बनकर दैवी आपदाओं से लोगों को बचाने की सेवाओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगी। उसके अधिकारी शिवानी के साहस और कार्य क्षमता से हमेशा ही प्रभावित होते रहे हैं। उसे कई प्रकार के पुरस्कारों से नवाजा गया। अभी तुर्कीए में आए भूकंप से हजारों लोगों की मौत होने की घटना में बड़ी अनहोनी से लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत सरकार ने अपने जांबाज सैनिकों को 6/7 फरवरी की रात में फौज के जहाज से तुर्कीए भेजा। जिसमें शिवानी अग्रवाल को भी भेजा गया। शिवानी का फोन आते ही पूरे गांव ने टीवी पर निगाहें गड़ा लीं। और पूरी रात यही देखा जाता रहा कि मदद की सामग्री लिए शिवानी तुर्कीए कब पहुंचे। शिवानी भारत से रवाना होने के पहले हिंडोन वर्ग हवाई अड्डे से लगातार अपने पिता और माता से फोन पर बड़ी उत्साहित और खुश होकर बोलती और मैसेज देती रही कि मेरा सौभाग्य है कि मैं आप लोगों की बेटी हूं और आपके सिखाए साहस के मार्ग पर चलते हुए भारत की ही नहीं विश्व के अनेक राष्ट्रों की सेवाओं में तल्लीन हूं।

मैं तुर्किए जाकर अगर एक भी जान बचा पाई तो मुझे अपने माता-पिता अपने गांव और अपने परिवार पर गर्व होगा। और मैं वादा करती हूं कि वहां जाकर मैं कुछ ऐसा करके दिखाऊंगी जिसकी कल्पना मेरी मां कल्पना ने भी नहीं की होगी। मैं अपने देश के लोगों और नारी समाज के साहस को वहां शान से प्रदर्शित करूंगी। अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की जानें बचाऊंगी। लाउड स्पीकर ऑन कर फोन पर शिवानी के जोश पूर्ण लहजे को सुनकर पूरे गांव के लोग गर्व से फूले नहीं समा रहे हैं। विजय सिंह एडवोकेट एवं भोजराज सिंह सहित गांव की महिलाओं और पुरुषों की आंखों में इस बेटी के उत्साहवर्धन हेतु प्रेम के आंसू छलक पड़े हैं। धनौरा की अति बुजुर्ग और सम्मानित श्रीमती सगुन दुलैया निरंजन और सैकड़ों महिलाओं ने शिवानी के साहस को सलाम करते हुए उनकी मां कल्पना को उसकी बेटी के साहस पर प्रभावित होकर माला पहनाई और पुरुषों ने उनके पिता देवेंद्र अग्रवाल को माल्यार्पण करके सम्मान किया। शिवानी की प्रिय सहेली कुमारी मंदाकिनी पटेल, जिसका अभी हाल ही में स्टेशन मास्टर के लिए चयन हुआ है, ने शिवानी के अन्य तमाम साहसी कार्यों को बताते हुए फोन से उसके माता-पिता को भरोसा दिलाया कि वह एक दिन देश की सेना की सर्वोच्च अधिकारी के रूप में निश्चित रूप से पहुंचेगी और गांव को एक ऐसा तोहफा देगी जिसके नाम से पूरा धनौरा रोशन हो जाएगा।