रिपोर्ट -शौकीन खान/कौशल किशोर गुरसरांय
गुरसरांय (झांसी)।श्री बजरंग मानस प्रचारिणी समिति के तत्वावधान में नगर के पटकाना मोहल्ले मैं स्थित श्री दास हनुमान जी मंदिर प्रांगण में चल रहे श्री रामचरितमानस सम्मेलन के 42 वें अधिवेशन का आज विधिवत रूप से समापन हो गया। समापन के मौके पर अयोध्या से आए संत रामशरण दास जी महाराज ने बताया कि प्रभु राम हमारे आचरण और हमारे उत्तम विचार में अवश्य विराजमान होने चाहिए। यही उनकी सबसे बड़ी भक्ति है। उन्होंने आदर्श राजा,उत्कृष्ट भाई, श्रेष्ठ पुत्र,महान मित्र की भूमिका एक साथ निभाई तथा एक मानक स्थापित किया। श्री रामचरितमानस सम्मेलन में आगे उन्होंने कहा कि प्रभु राम के नाम मात्र से रावण जैसे अत्याचारी का अंत हो जाता है और अंदर के सारे क्लेश पाप और कुविचार समाप्त हो जाते हैं। मन के रावण का अंत करें,स्वत: प्रभु राम की भक्ति मिल जाएगी।अन्याय पर न्याय की जीत के लिए प्रभु श्री राम ने विकट समुद्र को पार कर यह साबित कर दिया कि अन्याय और अत्याचार का हर समय अंत जरूर होता है,और हमें अन्याय और अत्याचार का नैतिकता के आधार पर हमेशा विरोध करना चाहिए।इसके अलावा रामशरण दास जी महाराज ने धनुष यज्ञ की कथा का भी विस्तार से वर्णन किया। वक्ताओं की अगली कड़ी में अयोध्या धाम से आई साध्वी मांडवी अनुचरी ने अपने कथा के दौरान बताया कि गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज नारी निंदक नहीं थे भारत जैसे सनातन संस्कृति वाले देश में जहां नारियों की पूजा की जाती हो उस देश का गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज जैसा महापुरुष नारियों का निंदक कैसे हो सकता है।हमारे देश में कुत्सित मानसिकता वाले कुछ लोग हैं जो समाज में इस तरह का भ्रम फैलाकर भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। सम्मेलन के दौरान अयोध्या के ही संत राम कृपाल दास जी महाराज ने भी अपने संबोधन में प्रभु श्री राम के पावन चरित्र का बड़े ही रोचक एवं मार्मिक अंदाज में वर्णन किया।इस कथा महाज्ञान यज्ञ में दूर-दराज से काफी संख्या में भक्तगण एवं श्रोता पहुंचे।कार्यक्रम का संचालन रानू तिवारी ने किया। इस मौके पर सुरेश पांचाल, राधेश्याम खरे लेखपाल,संतोष तिवारी, विष्णु नारायण पस्तोर,वीर सिंह परिहार,अशोक शर्मा लेखपाल,देवेंद्र घोष,फूल सिंह परिहार,अविनाश गोस्वामी,निर्मल शर्मा,विनोद कुमार पुजारी,मुन्नालाल शर्मा,कालका श्रीवास,कुंज बिहारी अड़जरिया,अरविंद विदुवा आदि लोग मौजूद रहे।