प्रभु श्रीराम का आचरण एवं व्यवहार अपनाने से जीवन आनंदमय हो जाता है।-रामशरण दास

रिपोर्ट -शौकीन खान/कौशल किशोर गुरसरांय

गुरसरांय (झांसी)।मनुष्य को उसके कर्तव्यों का बोध कराती है राम कथा। यह बात आज अयोध्या से आए संत रामशरण दास जी महाराज ने कहीं, वे आज नगर के पटकाना मोहल्ले में स्थित श्री दास हनुमान जी महाराज के मंदिर प्रांगण में चल रहे श्री रामचरित मानस सम्मेलन के 42 वें अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे श्री रामचरित मानस सम्मेलन के तृतीय के मौके पर आज उन्होंने कहा कि श्रीराम कथा विश्व कल्याणदायनी है, लोक मंगलकारी है। प्रभु श्रीराम का आचरण एवं व्यवहार अपनाने से जीवन आनंदमय हो जाता है। गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज ने श्रीराम कथा के माध्यम से मानव जीवन संबंधों की महत्ता स्थापित की है।

यही वजह है कि श्रीराम चरित मानस में गुरु, माता-पिता, पुत्र-पुत्री, भाई, मित्र, पति-पत्नी आदि का कर्तव्य बोध एवं सदाचरण की सीख हमें सर्वत्र मिलती है। कथा में उन्होंने कहा की जो व्यक्ति दूसरों का हक छीन कर सिर्फ खाना ही जानता है वह दानव के समान होता है और जो व्यक्ति त्याग की भावना रखता है तथा अपने साथ-साथ दूसरों को भी खिलाता है वही व्यक्ति सच्चे अर्थों में मानव कहलाता है। और ऐसे व्यक्ति के ह्रदय में देवत्व का वास होता हैअगर व्यक्ति का मन निर्मल हो तो वह कठौती में भी गंगा जी के दर्शन लाभ को प्राप्त कर सकता है। आगे उन्होंने अपनी संगीतमई कथा में भक्ति भाव का बड़े ही रोचक एवं मार्मिक अंदाज में वर्णन करते हुए बताया कि भक्ति मार्ग में सुख शांति का प्रभाव है, जहां आनंद की शीतल छाया मिलती है। तुलसीदास ने रामचरितमानस में श्रद्धा को भवानी और विश्वास को शंकर का प्रतिरूप मानते हुए दोनों की समवेत वंदना की है। कहा कि परमात्मा से जुड़ने के लिए श्रद्धा और विश्वास ही तो साधन बनता है। कथा की सार्थकता तब सिद्ध होती है, जब इसे हम दैनिक जीवन के व्यवहार में शामिल करते हैं। इसके उपरांत अयोध्या धाम से आए संत रामकृपाल महाराज ने अपनी कथा में हनुमान जी की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि सागर अगर कोई भी देवी देवता प्रभु श्रीराम के नजदीक है तो वह केवल अंजनी पुत्र मारुति नंदन हनुमान जी ही है जिन्हें प्रभु श्री राम सबसे ज्यादा दुलार करते हैं। और हनुमान जी ही इस कलयुग में साधु-संतों की रक्षा करते हैं। आगे उन्होंने कहा कि राम कथा सुनने से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और मन में शांति व मुक्ति मिलती है। भगवान राम का प्रिय भक्त बनना है तो हनुमान के चरित्र से सीख लेनी होगी। अयोध्या धाम से साध्वी मांडवी अनुचरी ने रामचरित मानस सम्मेलन को संबोधित करते हुए रामचरितमानस महाकाव्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। अपनी कथा के दौरान उन्होंने कहा कि रामचरितमानस बस एक काव्य ही नहीं है बल्कि सनातन धर्मावलंबियों द्वारा भगवान के रूप में आराध्य राम की कथा है इस महाकाव्य में मानवता की कल्पना जिसमें उदारता क्षमा त्याग धैर्य सहनशीलता आदि सामाजिक गुण अपने अपनी पराकाष्ठा के साथ मिलते हैं इसमें प्रभु श्री राम का संपूर्ण जीवन चरित्र वर्णित हुआ है। इस महान कृति में चरित्र और काव्य दोनों के गुण समान रूप से विद्यमान हैं जो हमें अपने जीवन जीने की कला सिखाते हैं।

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