
कोंच (जालौन) में करीब 50 वर्षों से स्थापित अनुदानित मथुरा प्रसाद महाविद्यालय झांसी यूनिवर्सिटी का प्रतिष्ठित कॉलेज है। करीब 4 माह पहले आयोग से आये प्राचार्य डॉ० नरेश कुमार ने कॉलेज की धनराशि को हथियाने की वदनियत से कॉलेज को ही तहस-नहस कर डाला। नेक की तैयारी कर रहा यह कॉलेज अब अपने अस्तित्व के लिए ही मोहताज है। प्राचार्य ने अपनी हेकड़ी से पूरी प्रबंध समिति को नकेल डाल रखी है बुजुर्ग संस्थापक पंडित जगत नारायण दीक्षित एडवोकेट को गंदे शब्द बोलना प्रबंधक डॉ केदार निरंजन तथा मंत्री एडवोकेट ओम शंकर अग्रवाल के लिए गालियां देकर झूठे केसों में फसाने की धमकियां देना और उच्चाधिकारियों को गलत सूचनाएं देकर छल पूर्वक आदेश करा लेना प्राचार्य की फितरत में शामिल है। अपने अधिकारों की मर्यादा को लांघते हुए गलत तथ्यों पर प्रधानमंत्री को भी पत्र लिख कर निराधार लिख दिया कि प्रबंध समिति का कार्यकाल/अधिकार 2 वर्ष पहले समाप्त हो चुका है। ज्ञातव्य हो कि लगभग 4 माह पूर्व इसी प्रबंध समिति से चार्ज लेकर इसी प्राचार्य ने कार्यभार संभाला तो प्राचार्य की नियुक्ति स्वत: ही अवैद्य होनी चाहिए। तब फिर किस अधिकार से पीएचडी डी लिट की डिग्रियां लिए यह प्राचार्य शिकायत करने का अधिकारी है। कॉलेज के बायलॉज में व्यवस्था है कि नई प्रबंध समिति के गठन तक पुरानी प्रबंध समिति कार्य करेगी। चुनाव न हो पाने के वैद्य कारण भी मौजूद हैं लेकिन प्राचार्य ने कुछ लोगों से सांठगांठ कर कॉलेज के जिम्मेदार कर्मचारियों को भगा दिया और अपने ही जैसे बद नियतों को नियुक्त कर कॉलेज के गोपनीय दस्तावेज थमा दिये और गोपनीयता भंग कर डाली। दस्तावेजों में हेरा फेरी कर डाली। अभी हाल में ही प्राचार्य और उसके द्वारा नियुक्त नाजायज स्टाफ के खिलाफ विद्यार्थियों ने एसडीएम कोंच को ज्ञापन देकर ज्यादा फीस लेने की शिकायत की फलस्वरूप वह धनराशि वापस करना पड़ी। प्राचार्य के हां में हां मिलाने वाले स्टाफ को ड्यूटी पर आए बगैर भी हस्ताक्षर बनाने छूट है। खुद प्राचार्य दो- 2 हफ्ते कालेज नहीं आते हैं लेकिन हस्ताक्षर बनाने में कोई बंदिश नहीं है। जबकि कॉलेज का समर्पित स्टॉफ प्राचार्य द्वारा जेल भेजने की और फंसाने की धमकियों के साए में मुश्किल में है। इस महाविद्यालय की संचालन समिति की आम सभा का आजीवन सदस्य होने के नाते कॉलेज को दुर्दशा से बचाने की नियत से महामहिम राज्यपाल महोदया उत्तर प्रदेश से अनुरोध है कि इस धन लोलुप, झगड़ालू और अपने को बहुत ऊंची पहुंच वाले नेता से जुड़ा कहने वाले विवादित प्राचार्य के कार्यकलापों की जांच कराएं या इस छोटे कालेज का नहीं वल्कि किसी बड़ी यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर बना दिया जाए। फिर देखें या तो यूनिवर्सिटी और उसके कालेज रहेंगे या यह मान्यवर जेल में रहेंगे। ठीक उसी तरह जैसे राम राज्य में कुत्ते की रीढ़ तोड़ने वाले को प्रोन्नति देकर बड़े मंदिर का पुजारी बनाने की मांग की गई थी ताकि वहां भी धूर्तता करने पर कुत्ते की तरह इसकी भी रीढ़ तोड़ी जाए।