
रिपोर्ट -शौकीन खान गुरसरांय
गुरसरांय (झाँसी)। ठंड के कहर के बीच लोग खांसी,जुकाम और बुखार के साथ-साथ चिल ब्लेन बीमारी का शिकार हो रहे हैं। ये बीमारी खासकर सर्दियों में उन महिलाओं को ज्यादा होती है, जो ठंड में काम करती हैं। चिल ब्लेन का शिकार व्यक्ति की हाथ-पैर की उंगलियां सूज जातीं हैं। जलन के साथ खुजली होने से जख्म हो जाते हैं। इन दिनों अस्पतालों में इस बीमारी के मरीज बढ़ गए हैं।जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील होती है, उन्हें तेज ठंड के बाद जब अचानक से बहुत ज्यादा गर्माहट मिलती है या गर्मी से अचानक तेज ठंड में जाते हैं तो चिल ब्लेन की समस्या हो सकती है। ये समस्या सबसे ज्यादा दिसंबर के अंत और जनवरी की शुरूआत में देखने को मिलती है। क्योंकि इस सीजन में ही सबसे ज्यादा ठंड पड़ती है।
आखिर ये चिल ब्लेन है क्या?
दरअसल, इस बीमारी में लोगों के हाथ और पैर की उंगलियां और कान का निचला हिस्सा लाल होकर सूज जाता है। इससे तेज खुजली, गर्माहट या जलन महसूस होती है। कई बार तो खुजलाने की वजह से उन अंगों पर जख्म भी बन जाता है। इससे ‘स्किन कैंसर’ का खतरा हो सकता है।
चिल ब्लेन होने पर क्या करें और क्या न करें
अगर चिल ब्लेन के लक्षण आपमें नजर आएं, यानी तेज खुजली हो तो उस जगह को नाखून से खुजलाने के बजाय कपड़े से आराम से सहलाएं। चिल ब्लेन की समस्या होने पर शरीर के उस हिस्से को आग के पास बैठकर गर्म ना करें। इससे आपकी दिक्कतें और बढ़ सकती हैं। इससे राहत पाने के लिए आप गर्म पानी में थोड़ा सा नमक डालकर उससे हाथ और पैरों की सिंकाई करें। अगर ज्यादा तकलीफ है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
चिल ब्लेन से बचने के लिए क्या करें
जितना हो सके ठंड से बचें और अगर बहुत आवश्यक न हो तो घर से बाहर न निकलें। घर में भी मोजे पहन कर रहें और हाथों में दस्ताने पहनें। हाथों और पैरों को ठंडे पानी से बचाकर रखें। अगर बर्तन भी धोने हैं तो गर्म पानी का इस्तेमाल करें।