
रिपोर्ट -शौकीन खान/कौशल किशोर गुरसरांय द्वारा
गुरसरांय (झाँसी)।कहते हैं कि दो वक्त की रोटी के लिए आदमी दिन-रात मेहनत करता है। लेकिन नए साल में ये रोटी महंगी हो गई है। असल में बाजार में फुटकर आटे के रेट फिर से बढ़ गए हैं। इन दिनों एक किलो आटा 32 रुपये में बिक रहा है।रोटियां बनाने के लिए आटा हर घर की जरूरत है। जहां वर्ष 2022 में मार्च-अप्रैल के आसपास आटे के रेट 22 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 25 रुपये हो गए थे, इसके बाद दीपावली से पहले रेट फिर से बढ़कर 28 रुपये प्रति किलो हो गए थे। वहीं, दिसंबर में रेट 30 रुपये प्रति किलो तक हुए, अब आटा सीधे 32 रुपये किलो हो गया है।
दुकानदार बताते हैं कि आज भी 70 फीसदी से अधिक आबादी चक्की या किराना की दुकानों से खुला आटा लेती है। ऐसे में इस आटे के रेट साल में कई बार घटते बढ़ते हैं। किराना दुकानदार बताते हैं कि कोरोना काल के बाद से आटे के रेट में गिरावट नहीं आई है। आटा महंगा होने से सूजी और मैदा भी महंगा हो गया है। उधर, गृहिणियां भी बता रही हैं कि हर तीन-चार महीने में आटे के रेट बढ़ने से गृहस्थी पर असर पड़ता है। उधर, जल्द ही होटलों में भी रोटी महंगी हो जाएगी।

मजदूर पल्लेदार मेहनतकश सबसे अधिक प्रभावित- शौकीन खांन
मज़दूर सेवा संस्थान उत्तर प्रदेश के सचिव शौकीन खाँन ने कहा पूरे दिन अगर पल्लेदार मज़दूर मजदूरी करता है तो उसे बमुश्किल चार सौ रूपए की दहाड़ी मिलती है और एक परिवार मे पाँच छः लोग होते है जिन्हे प्रतिदिन ढाई किलो आटा लगता है और वह भी प्रतिदिन जरूरत पड़ती है जबकि मजदूरी या आमदनी प्रतिदिन निश्चित नहीं है ऐसी स्थिति मे गरीबो का चूल्हा कैसे जले क्योंकि गैस से लेकर खाद्यान तेल रोजमर्रा की आम चीजे उपयोग की पहले ही बहुत महॅगी हो चुकी है अब आटा और कड़ाके की ठंड मे कपड़ा,ईधन गरीवों से कोसों दूर है ऐसी स्थिति मे शासन को गरीब तबके के व्यक्तियों के लिए समय गवाएं बिना विशेष राहत पैकज योजना लागू करना चाहिए।