
रिपोर्ट -कौशल किशोर गुरसरांय
गुरसरांय (झांसी)। 27 दिसंबर हाईकोर्ट का स्थानीय निकाय चुनाव को आरक्षण मुद्दे को लेकर लगभग 10, 12 दिनों से आरक्षण को लेकर और सरकार और न्यायालय के बीच में चली लंबी बहस के बाद आज मंगलवार को ज्यों ही हाईकोर्ट का फैसला आया तो मंगल किसी के लिए मंगल बन कर आया तो किसी के लिए अमंगल बन कर आया को लेकर प्रत्याशियों के चेहरे किसी के खिले तो किसी के मुरझाए तो दिखे लेकिन आम जनता के बीच पूरी तरह खामोशी और ऊहो-पोह कीं स्थिती बनी हुई है कि चुनाव की गेंद जहां सरकार के पाले में न्यायालय ने ओबीसी आरक्षण को लेकर कुछ शर्त के साथ डाल दी है तो दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा ट्वीट किया गया कि नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में एक आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी।इसके उपरान्त ही नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा।यदि आवश्यक हुआ तो माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के क्रम में सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करके प्रदेश सरकार माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी करेगी। से अब लग रहा है कि कही न कही अब चुनाव निर्धारित समय पर होना मुनासिफ नही है जिसके चलते अधिकारियों को जो पावर निकाय संचालन हेतु मिले हैं इससे उनकी पूरी तरह बल्ले बल्ले है लेकिन उच्चतम न्यायालय का निकाय संचालन के लिए ऐसी स्थिति में जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी भी निकाय संचालन हेतु सदस्य के रूप में पदेन रहेगा यह निर्णय स्वागत योग्य भी है दूसरी ओर सभी राजनीतिक दल इस फैसले को कही न कही अपने हिसाब से बेहतरीन मान रहे हैं तो कुछ राजनीतिक दल से लेकर संभावित निकाय प्रत्याशियों के चेहरे मुरझाए हुए हैं और 27 दिसंबर देर रात तक बाजार गली चौपाल राजनीतिक लोगों के बीच निकाय चुनाव को लेकर अच्छी खासी बहस और चर्चा का बाजार इस भीषण ठंड में भी गरम रहा।