
सरीला:-सरीला तहसील के जिटकिरी जमौडी गाना सड़क बहुत खस्ताहाल विधानसभा चुनाव के समय जिटकिरी गांव के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार भी किया था तब यहां एसडीएम सरीला ने आकर कहा था कि आप की सड़क 6 महीने में सही हो जाएगी लेकिन गांव वालों का कहना है कि यह सड़क अभी भी सही नहीं हुई है बरसात होने पर पूरी सड़क पर कीचड़ व गड्ढ़ा है जिसका वीडियो बनाकर गांव के लोग सोशल मीडिया पर जमकर वायरल कर रहे हैं गड्ढ़ा मुक्त अभियान की खुली पोल सूूबे में भाजपा सरकार के सत्ता में आने से लोगों को काफी उम्मीदें बंधी थी कि सड़कों की हालत ठीक हो जाएगी. योगी सरकार ने भी सड़कों को छह माह के अंदर गड्ढा मुक्त करने का दावा किया था, लेकिन सरकार का यह बड़ा दावा महज कागजों तक सीमित रहा. अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण सड़कों की स्थिति बद से बदतर हो गई. इस बीच रही सही कसर बारिश ने सड़कों की सूरत बिगाड़ कर पूरी कर दी. सरीला क्षेत्र की जर्जर ग्रामीण सड़कें गांव के विकास की पोल खोल रही है। यहां चंडौत,बसरिया,जिटकिरी,जमौड़ी, बौखर गांवो की मुख्य सड़के जर्जर हो चुकी है। पंद्रह -बीस साल पहले की बनी कई सड़कों की आज तक मरम्मत भी नहीं हुई है। झबरा स्टैंड से नई बस्ती , जिटकिरी, जमौड़ी डांडा लगभग सात किमी तक की ग्रामीण सड़क अपनी जर्जर हालात पर आंसू बहाने को विवश है। यहां तो हल्की बारिश में भी चलना मुश्किल हो जाता है। सड़कों में गड्ढे या गड्ढों में सड़क, कहना मुश्किल वहीं जिटकिरी गांव निवासी भगवानदास तथा नंदराम कहते हैं जिटकिरी, जमौड़ी गांव की मुख्य सड़कों की हालत इतनी खराब है की पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है बरसात के समय सड़क में बने गढ्ढे पानी से लपालप भर जाते है गढ्ढों की चपेट में आकर बाइक सवार अक्सर चोटिल होते हैं। साथ ही गढ्ढों में हिचकौले खाते हुए वाहन चलते हैं। अगर कोई बीमार हो जाता है तो एंबुलेंस भी समय से नहीं पहुंचती। ऐसे में लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है। चंडौत ग्राम पंचायत की मुख्य सड़क दलदल में तब्दील है यहां जलनिकासी का भी कोई इंतजाम न होने से बिना बारिश ही सड़कों पर कीचड़ और जलभराव नजर आता है। इसके अलावा जरा सी बारिश ही पूरी सड़क को टापू सा बना देती है। ज्यादा बारिश हो तो सड़कों की गंदगी घरों के भीतर तक पहुंच जाती है। हालत यह है कि आम आदमी का जीनव नारकीय हो गया है। जिटकिरी गांव निवासी मंगल, गयादीन, अल्लहादीन, विजय सिंह, दीनदयाल, गौरीशंकर राममिलन का कहना है कि ग्रामीण सड़कों की हालत सुधारने के लिए न तो क्षेत्र के जनप्रतिनिधि औऱ न ही प्रशासनिक महकमे के अधिकारी ध्यान देते हैं । चुनाव के समय तो बड़े -बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन चुनाव के बाद सब हवा -हवाई हो जाता है।