
समय से सूचना न देने पर राज्य सूचना आयोग की कार्यवाही
झांसी। जन सूचना अधिकारी कार्यालय जेल अधीक्षक जिला कारागार झांसी द्वारा अपीलार्थी को 1 वर्ष बाद सूचना उपलब्ध कराई गई । नाराज अपीलार्थी ने आयोग में अपील कर दी। राज्य सूचना आयोग में जन सूचना अधिकारी विलंब से सूचना देने का कारण स्पष्ट नहीं कर पाए ।इस पर आयोग द्वारा 25000 का अर्थ दंड लगाते हुए उनके वेतन से उक्त कटौती किए जाने का निर्देश जारी किया।
जनपद में अधिकारियों द्वारा जनता की सुनवाई नहीं की जाती है। इसलिए तहसील दिवस ,थाना दिवस, आईजीआरएस पर लगातार शिकायतें हो रही हैं। अधिकारी तो इतने लापरवाह हो गए हैं कि अब राज्य सूचना आयोग के आदेशों की भी अवहेलना करने से नहीं कतराते। ऐसे ही लापरवाही पर राज्य सूचना आयोग ने कड़ा रुख अपनाया।
जनपद में सक्रिय सामाजिक एवं आरटीआई कार्यकर्ता मुदित चिरवारिया ने 12 अक्टूबर 2018 को जन सूचना अधिकारी कार्यालय जेल अधीक्षक जिला कारागार झांसी को पत्र भेजकर सूचनाएं मांगी थी। जनपद में जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 को अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते । इसी कारण जिला कारागार में भी अन्य आरटीआई की तरह इसे भी फाइल में कैद कर दिया । अपीलार्थी सक्रिय कार्यकर्ता है। उसने समय से प्रथम अपील कर दी इस पर भी विभाग गंभीर नहीं हुआ तो द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग में कर दी।
राज्य सूचना आयोग ने दोनों पक्षों को 8 नवंबर 2019 को सुनवाई हेतु बुलाया तब जाकर जन सूचना अधिकारी की कुंभकर्णी नींद टूटी और 1 दिन पूर्व 7 नवंबर 2019 को सूचना उपलब्ध करा दी । इस पर आयोग ने सूचना में हुई देरी के लिए जन सूचना अधिकारी को स्वयं उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया। इसके बाद 26 मार्च 2020, 1 अक्टूबर 2020, 7 मई 2021 , 7 अक्टूबर 2021, 5 मई 2022 को सुनवाई के लिए उपस्थित होने के आदेश दिए गए, लेकिन जन सूचना अधिकारी की कुंभकरण नींद नहीं टूटी
इस आवहेलना से नाराज राज्य सूचना आयुक्त किरण वाला चौधरी ने जन सूचना अधिकारी कार्यालय अधीक्षक जिला कारागार झांसी पर 25000 का अर्थदंड लगाया। रजिस्टर उत्तर प्रदेश सूचना आयोग को आदेश दिया कि आरोपित अर्थदंड की वसूली संबंधित के वेतन से काटकर की जाए।