
गुरसरांय (झांसी)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संस्तुति पर महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश ने प्रदेश का गौरवशाली और प्रकृति परंपरा संस्कृति को इतिहास मैं महत्वपूर्ण स्थान के रूप में धरोहर के रूप में विकसित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ का उपाध्यक्ष बुंदेलखंड के झांसी जिले के प्रमुख इतिहासकार वरिष्ठ अधिवक्ता पुरातत्व कला संस्कृति कृषि श्रमिक काव्य से लेकर बुंदेली भाषा बुंदेली गीतों और बुंदेलखंड की वीर गाथा से लेकर बुंदेलखंड की सभी विधाओं और बुंदेलखंड से लेकर उत्तर प्रदेश देश और विश्व पटल पर सामाजिक धार्मिक इतिहास के चोटी के ज्ञाता के रूप में प्रखर पहचान बनाने वाले हरगोविंद कुशवाहा एडवोकेट को भा जा पा शासनकाल में दूसरी पारी में पुनः अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ का उपाध्यक्ष बनाया गया है जबकि इनके साथ महामहिम राज्यपाल ने नौ अन्य सदस्यों को भी नामित किया है।

आखिर हरगोविंद के रूप में योगी ने बुंदेलखंड में बेहतरीन चेहरा क्यों चुना?
हरगोविंद कुशवाहा के जीवन और व्यवहार पर जब नजर डाली जाए तो वह बेहद गरीब किसान परिवार से आते हैं और उनको शुरुआती दौर में पंडित राम सहाय शर्मा के संरक्षण में पढ़ने और रहने कुशल व्यवहार का अवसर प्राप्त हुआ और उन्होंने इंटरमीडिएट परीक्षा पंडित राम सहाय शर्मा खैर इंटर कॉलेज गुरसरांय से ग्रहण की जिस दौरान रामायण का उन्हें पूरा ज्ञान और भगवान श्री राम का समाज में व्यावहारिक ज्ञान जीने की कला अपनी सोलह 17 साल की उम्र में ही आत्मसात कर ली थी और इसके बाद आगरा कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातक पर स्नातक तीन विषयों में एवं विधि स्नातक शिक्षा हासिल की।
राजनीतिक जीवन
हरगोविंद कुशवाहा ने क्रांति दल के माध्यम से 1969 में राजनीतिक सफर चालू किया वर्ष 1977 में जनता पार्टी के महासचिव नियुक्त हुए वर्ष1980 में उन्हें लोकदल बहुगुणा पार्टी का झांसी जिला अध्यक्ष बनाया गया 1984 में वह दलित मजदूर किसान पार्टी के जिला अध्यक्ष बने 1989 में जनता दल और उसके बाद 1992 में उनका सरोकार सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के अति निकट शुमार रहा 1992 से 2002 तक सपा की झांसी जिला अध्यक्ष पद पर रहे हरगोविंद कुशवाहा का व्यक्तित्व व चिंतन पर स्व० राम मनोहर लोहिया स्व० चरण सिंह के कृतित्व की गहरी छाप अंकित हुई राजनीति के सफर में भी वह सोच हर डगर में उनके साथ साये की तरह साथ साथ चले हरगोविंद कुशवाहा 1995 में पहाड़ी चिरगांव झांसी जिला पंचायत के सदस्य के रूप में अधिक रिकॉर्ड मतों से चुने गए थे वह भंडार निगम लखनऊ के 3 वर्ष अध्यक्ष रहे वर्ष 1995,वर्ष 1998 और वर्ष 1999 में झांसी ललितपुर संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रहे और दो लाख 47 हजार से अधिक मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे यह भी रोचक रहा वर्ष 1996 संसदीय चुनाव में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी भी उनसे कई लाख मतों से पीछे रहे वह झांसी ललितपुर में भी हमेशा दूसरे स्थान पर रहे हरगोविंद कुशवाहा कुशवाहा समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे जिसमें पिछड़ों कुशवाहा मौर्य शक्य सैनी समाज के हित में कई काम किए जिससे उनकी छवि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने में पहचान हुई।
स्थानीय और बुंदेलखंड की भाषा माटी संस्कृति से उनका जुड़ाव जन्म से लेकर आज तक है वह एक बेहतर बुंदेलखंडी लोकगीत बुंदेलखंड की पहचान राई नृत्य ढिमरिया राग कछिया भजन से लेकर कई विधाओं में परिपूर्ण रहे वह आज 74 वर्ष की उम्र के होने के बाद भी उनका व्यवहार बच्चों में बच्चों जैसा युवाओं में दोस्तों जैसा तो हर उम्र में हर व्यक्ति से अपनत्व झलकता है जिससे आज भी वह पूरी तरह हर समाज के निचले पायदान के व्यक्ति से बेहतरीन जुड़ाव और संबंध रखते हैं जिससे उनकी पहचान सर्व सुलभ व्यक्तियों में आती है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के वह चहेते बन गए हैं।