
गुरसरांय (झांसी)। द्रोपती को आत्महत्या को विवश करने वाले दुर्योधन को आखिर संरक्षण क्यों? यह कहना यहां पर स्वास्थ्य विभाग के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गुरसरांय के तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा अधिकारी पर सटीक सोलहना फिट बैठ रहा है दूसरी ओर आखिर ऐसे दुर्योधन को योगी शासनकाल के प्रथम और द्वितीय चरण में द्वितीय पारी पूरे एक्शन के साथ महिला सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर काम करने के लिए जानी जाती है लेकिन गुरसरांय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा अधिकारी द्वारा लगभग 1 साल पहले एक महिला के साथ स्वास्थ्य केंद्र परिसर में छेड़छाड़ करके उसके साथ जो अभद्रता अश्लील हरकत की थी इसकी प्राथमिकी सूचना थाना गुरसरांय में दर्ज है और इसके बाद इस प्रभारी का यहां से स्थानांतरण भी हो गया है जो कि वर्तमान में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिरगांव तैनात था और चिरगांव तैनाती दौरान इसने गुरसरांय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से स्थानांतरण होने के बाद भी प्रभारी का सरकारी आवास गुरसरांय खाली नहीं किया और समाचार लिखे जाने समय तक भी नहीं किया था इस संबंध में वर्तमान में तैनात यहां प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने विभागीय स्तर पर और जिला से सीएमओ ने अपने स्तर से सरकारी आवास खाली कराने की कोई कार्रवाई नहीं की जिसके चलते 22 मार्च की रात्रि यहां पर तैनात महिला फार्मेसिस्ट द्रोपती ने समय लगभग 11:00 बजे रात्रि आत्महत्या कर ली थी और आत्महत्या का कारण उसका जबरदस्त शोषण और आत्महत्या को मजबूर करने का कारण उभरा था जो घटनास्थल पर मिले सुसाइड नोट और मोबाइल फोन की पड़ताल अपने में खुल्लम खुल्ला इशारा कर रही है और द्रोपती के पिता ने थाना गुरसरांय में इसकी एक नाम दर्ज व्यक्ति सहित दो तीन व्यक्तियों के विरुद्ध आत्महत्या करने को प्रेरित करने का मामला दर्ज कराया था इस प्रकार यहां तैनात तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा अधिकारी पूरी तरह महिला सशक्तिकरण के रूप में वाधा बने हुए हैं और स्वयं में दुर्योधन के रूप में उभरे हैं तो दूसरी ओर गुरसरांय से लेकर झांसी जिला स्तर के स्वास्थ्य अधिकारियों से लेकर मंडल और प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों का यहां पर जो चेहरा उभर कर सामने आ रहा है उससे लग रहा है कि स्वास्थ्य विभाग में दुर्योधन को पूरी तरह संरक्षणता मिली हुई है क्योंकि तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के विरुद्ध थाना गुरसरांय में मामला दर्ज होने के बाद से चिरगांव प्रभारी चिकित्सा अधिकारी पद से वह लगातार अनुपस्थित चल रहा है और इतनी बड़ी घटनाओं पर घटनाएं पुनरावृत्ति होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों से लेकर जिला प्रशासन और शासन पर उंगली उठती नजर आ रही है की आखिर दुर्योधन को योगीराज में संरक्षण देने वाले कौन हैं? जिसके चलते वह फरार चल रहे हैं और कानून संविधान का काम जिस दिशा में जितनी तेजी के साथ पूरे उत्तर प्रदेश में चल रहा है आखिर झांसी जिले के हाई प्रोफाइल स्वास्थ्य विभाग के महिलाओं के साथ छेड़छाड़ अश्लीलता और उन्हें आत्महत्या करने को मजबूर करने बालों पर अभी तक कानूनी शिकंजा क्यों नहीं कसा है यहां यह साफ होता दिख रहा है की स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से लेकर कहीं ना कहीं प्रशासन की कड़ी दुर्योधन को बचाने का काम कर रही है और इससे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कि जो कानून व्यवस्था से लेकर विकास को लेकर छवि है उसकी पूरे देश और विश्व पटल पर डंका बज रहा है यहां पर झांसी जिले में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन कहीं ना कहीं उत्तर प्रदेश शासन की छवि खराब करने में लगा हुआ है तब ही तो द्रोपती को आत्महत्या को प्रेरित करने वाले और एक महिला को छेड़छाड़ से लेकर अश्लीलता अभद्रता करने वाले के विरुद्ध दुर्योधन रूपी तत्कालीन प्रभारी चिकित्सा अधिकारी की गुरसरांय में एफआईआर दर्ज होने के बाद और झांसी जिले से अपनी तैनाती स्थल से लगातार फरार चल रहे दुर्योधन के ऊपर कानून का शिकंजा कब कसेगा साथ ही कानून को मजाक बनाने वाले इसमें जुड़े लोगों को उजागर कर उनके विरुद्ध भी क्या कार्रवाई होगी? इस प्रकार गुरसरांय से लेकर पूरे झांसी जिले के स्वास्थ्य विभाग में और आम जनता में ऐसे दुर्योधन की चर्चाएं बहुत तेजी से हैं अब देखना है उत्तर प्रदेश शासन के लोकप्रिय स्वास्थ्य मंत्री से लेकर उत्तर प्रदेश की बेहतरीन काम करने वाली पुलिस अब इस प्रकरण में क्या एक्शन लेती है।