चित्रकूट की पावन गाथा

नेहा चक्रवैश
चित्रकूट । भगवान श्री राम के वनवास काल की अनेक घटनाओं का साक्षी चित्रकूट उत्तर प्रदेश है। विभिन्नताओं से भरे चित्रकूट में कहीं कल-कल करती मंदाकिनी का सुंदर जल है तो कहीं विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं की पहाड़ी है वही चित्रकूट में कई किलोमीटर में फैला विशाल जंगल है जो पर्यटकों का मन मोह लेता है। वही हम आपको बता दें कि चित्रकूट में धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के अनेक स्थल हैं जिनके दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बारंबार आते हैं यहां परिक्रमा मार्ग पर अनेक दर्शनीय स्थल हैं जैसे ऋषि अत्रि और सती अनसूया का आश्रम स्फटिक शिला ,गुप्त गोदावरी आदि। गुप्त गोदावरी में दो गुफाएं हैं एक चौड़ी है और एक ऊंची है प्रवेशद्वार सकरा होने के कारण इस में आसानी से नहीं घुसा जा सकता । वहीं गुफा के अंत में एक छोटा सा तालाब है जिसे गोदावरी नदी कहा जाता है दूसरी गुफा लंबी और सकरी है जिससे हमेशा पानी बहता रहता है। अगर हम बात करें रामघाट की तो बताया जाता है कि इस घाट में भगवान राम ने स्नान किया था और अपने पिता राजा दशरथ की अस्थियों का विसर्जन किया था । वही हिंदू धर्म का मानना है कि इस घाट पर स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है। स्फटिक शिला से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर घने वनों से घिरे सती अनुसूया का मंदिर है जहां मुनी अत्रि निवास करते है। वही चित्रकूट में स्थित हनुमान धारा लगभग 100 मीटर ऊंचे पर्वत पर पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा स्थित है। बताया जाता है कि हनुमान की प्रतिमा के ऊपर से एक जल की धारा गिरती है यह धारा पूरे साल भर एक ही गीत से प्रभावित होती रहती है वही पहाड़ी के शिखर पर ही सीता रसोई हैं यहां से चित्रकूट का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। इस प्रकार चित्रकूट अपने विभिन्नताओं से भरा एक धार्मिक स्थल है।